शनिवार, 4 जनवरी 2025

 


 कितनी योजनायें ,कल्पनाएं ,सपने देखते भविष्य के हम अपने हैं
भूल जाते हैं ,तनिक ख्याल नहीं आता कि हम तो मात्र कठपुतली हैं
डोरी तो हम सबकी रब के पास है हम तो बस रंगमंच के कलाकार हैं
हंसाता भी वही रुलाता भी वही है, यश -अपयश का सबब भी वही है
मौज -मस्ती के साथ मौजूदा हर पल का आनंद लो ,नियति तो हमारी तय है
भूत और भविष्य में ना उलझो इनका चक्रव्यूह गहन और अत्यंत गंभीर है
--रोशी

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