बेटे भी मासूम होते हैं दिल से ,सिर्फ बेटियां ही नहीं
माँ से अद्भुद जुड़ाव होता है उनका बचपन से
शायद व्यक्त नहीं कर पाते हैं अपने भाव ,अपना प्यार
रसोई में मां का हाथ नहीं बटा पाते हैं ,होते हैं कच्चे इसमें जन्म से
माँ की नई साड़ी ,चूड़ी से सजे हाथ ,माथे पर बिंदिया खूब भाती है उनको
पत्नी को भी उसी रूप में पसंद करते हैं जिस रूप में देखा था माँ को
मां ,बहन की बेहतरी के लिए जुट जाते हैं बचपन से ख़ामोशी के साथ
बेटियों की तरह बेटे भी जुड़े रहते है दिल से परिवार के साथ
--रोशी
शायद व्यक्त नहीं कर पाते हैं अपने भाव ,अपना प्यार
रसोई में मां का हाथ नहीं बटा पाते हैं ,होते हैं कच्चे इसमें जन्म से
माँ की नई साड़ी ,चूड़ी से सजे हाथ ,माथे पर बिंदिया खूब भाती है उनको
पत्नी को भी उसी रूप में पसंद करते हैं जिस रूप में देखा था माँ को
मां ,बहन की बेहतरी के लिए जुट जाते हैं बचपन से ख़ामोशी के साथ
बेटियों की तरह बेटे भी जुड़े रहते है दिल से परिवार के साथ
--रोशी
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