शनिवार, 4 जनवरी 2025



शादी-व्याह ,बर्थडे,नामकरण हर उत्सव का रूप बदल रहा है
दिखावा ,भव्य प्रदर्शन साल दर साल ,हर स्तर पर बड रहा है
मध्य वर्गीय इंसान कर्जा लेकर दिखावे की होड़ कर रहा है
तिनका -तिनका पूरी जिन्दगी जो पैसा जोड़ा वो लुटा रहा है
बेशक बाकी सारी जिन्दगी कर्जा उतारने में ही लग जाए
जन्म से लेकर मृत्यु तक हर कर्मकांड सिर्फ प्रदर्शनी मात्र बन गए
प्यार ,मोहब्बत ,निज सम्बन्ध सब आधुनिकता की भेंट चढ़ कर रह गए
हमने क्या कुछ नया पेश किया बस सब यह ही ताकते रह गए
आधुनिकता का चड़ा ऐसा रंग कि हम सब इसके रंग में रंग गए
--रोशी

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