शनिवार, 4 जनवरी 2025



बेटियां समझदार ,जिम्मेदार शायद कुदरतन ही जन्मती हैं
कहकहों ,खिलखिलाहट से घर को गुंजारमान रखती हैं
माँ बाप ,दादी बाबा की जान होती हैं ,भाई के सबसे करीब होती हैं
बिदाई के वक़्त पीहर हर कोने में बचपन की यादें बिखेर जाती हैं
रंगीन चूड़ियाँ ,क्लिप, घाघरा ,चुन्नी ,और बिंदी के पत्ते कोने में छुपा जाती हैं
रेशमी रुमाल ,रंग बिरंगे चित्र बनाये थे सहेलियों के साथ संदूक में बंद कर जाती हैं
पीहर को अनमोल दुआएं दिल से दे जाती हैं, संग मां बाप का दुलार ले जाती हैं
तकलीफदेह होता है घर आंगन छोड़ना ,पर बेटियां सदियों से यह करती आई हैं
--रोशी

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