सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

 श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम

स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम
दुनिया में बेशुमार जिस्मानी कमियों के साथ जीते हैं लोग
जिन तकलीफों का तस्सवुर भी सपने में ना कर सकते हम
तब अंदाजा होता है अपनी रहमतों का जिनके साथ जीते हैं हम
थाली में ना हों दो निवाले ,सर पर ना हो छत ऐसे भी जीते हैं ढेरों जन
बंदूकों के साये में कट जाती जिन्दगी जो सोच भी ना सकते हैं हम
बंधुआ मजदूरी ,हाड़ तोड़ मेहनत ऐसे भी जीते हैं ढेरों आमजन
कितनी बेशकीमती सुख,-सुविधा दी रब ने हमको यह जान ना सके अभी हम
वक़्त रहते शुकराना अदा करो हर पल उसका जो जिन्दगी जी रहे हैं हम
--रोशी
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शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

 जीते जी तो भोजन -पानी ना दिया सुकून से ,मार दिया जीते जी उनको

श्राद्ध कर्म कर रहे हैं आज शानो -शौकत से बिरादरी में नाम कमाने को
जिस मां ने पूरी जिन्दगी लगा दी बच्चे को पालने में ,तरस रही दो निवाले खाने को
घर के पिछवाड़े जीर्ण -शीर्ण अँधेरी कोथरी में धकेल दिया शेष जीवन बिताने को
जिन्दगी होम कर दी जिस मां ने बालक को युवा बनाने में ,पाँव पर खड़ा करने को
पिता चुनता रहा चाँद तारे अपनी औलाद की खातिर ,कामयाब बनाने को उसको
कैसे भुला दिया एक झटके में निर्लजज ने सब, आज सफलता के कदम चूमकर
महाभोज कर समाज में दिखाया निज रुतबा,रइसी आज सफलता के मुकाम पर
क्या तृप्त हो सकेगी आत्मा बूढ़े मां बाप की ? अनेतिक श्राद्ध कर्म के आडम्बर
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पर
--रोशी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...