जीते जी तो भोजन -पानी ना दिया सुकून से ,मार दिया जीते जी उनको
श्राद्ध कर्म कर रहे हैं आज शानो -शौकत से बिरादरी में नाम कमाने को
जिस मां ने पूरी जिन्दगी लगा दी बच्चे को पालने में ,तरस रही दो निवाले खाने को
घर के पिछवाड़े जीर्ण -शीर्ण अँधेरी कोथरी में धकेल दिया शेष जीवन बिताने को
जिन्दगी होम कर दी जिस मां ने बालक को युवा बनाने में ,पाँव पर खड़ा करने को
कैसे भुला दिया एक झटके में निर्लजज ने सब, आज सफलता के कदम चूमकर
महाभोज कर समाज में दिखाया निज रुतबा,रइसी आज सफलता के मुकाम पर
क्या तृप्त हो सकेगी आत्मा बूढ़े मां बाप की ? अनेतिक श्राद्ध कर्म के आडम्बर 
पर

पर
--रोशी