शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

शीत लहर






क्या लिखें ? कैसे लिखें ?शीत लहर ने किया सब शून्य
दिल ,दिमाग सब शून्य ,लेखनी से निकले शब्द भी शून्य
शीतलहर ने अभी शुरू ही किया है दिखाना अपना प्रकोप
छाया चहुँ और गहन कुहासा ,खिले गुलाब ,देहलिया सब ओर
बगियें हुईं सुवासित ,फूलों की अद्भुत छठा बिखेरे सुगंदसब ओर
कांपते गरीब ,नौनिहाल ,वृद्ध दशा उनकी शोचनीय ,अत्यंत मार्मिक
तो कहीं बढती शीत लहर ने बदला जीने का ढंग
 दारू ,मुर्गा .मौज मस्ती का है उनके वास्ते यह मौसम
तो कहीं चित्डा गुदरी में है लुका -छिपी खेलता बदहाल परिवार
इंतज़ार में हैं सूरज की एक किरण की रौशनी का उसको
शायद कर दे कुछ गर्म उसकी कांपती हडियों को थोड़ी ही देर के लिए
फिर रात्रि में शीत लहर में तडपना तो अब हो गया उसकी आदत में शुमार

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