मंगलवार, 21 जून 2011

कोमल अहसास

15th June 
आज है बेटे का जन्म दिन 
प्रफुल्लित है, आह्वावादित है तनमन 
जन्म दिन के साथ ही याद आता है मासूम क्रदन

प्रथम स्पर्श,उस मासूम का कोमल स्पंदन 
छू छूकर देखा था बार- बार उस नन्ही सी जान को 
और पाया था अदभुत, आत्मिक, संतोष तनमन को 

वो नवजात शिशु का टकटकी लगा कर देखना 
भिगो गया था सर्वस्व आत्मा को, प्रत्येक छण 
किसी भी चीज की अदभुत चाह और उसको पाना 

न कर सकती हूँ वयां क्यूंकि यह जिसने चाह उसी ने है जाना 
की कैसे हो सकता वयां ....


मंगलवार, 7 जून 2011

Roshi: Roshi: बेटियां ही कियूं सहती हैं

Roshi: Roshi: बेटियां ही कियूं सहती हैं: "Roshi: बेटियां ही कियूं सहती हैं : 'बेटियां जब कोख में आती हैं तब भी दुःख देती हैं पैदा जब होती हैं, इस घिनौने संसार में तब भी दुःख देती है..."

हर युग की कहानी नारी की जुबानी

बरसो से हम बात करते रहे हैं समानता की 
पर नारी को ही छलते आये  हैं इसकी दुहाई दे-देकर

हर युग में ही भोग्या बनती आई है नारी 
कभी सखा, कभी प्रयेसी और कभी पत्नी बनकर

रघुकुल में भी भोगा है दारुण दुःख सीता और उर्मिला ने 
एक ने काटा बनबास अरण्य में, दूसरी ने राज कुल में

यदुवंश में भी राधा ने ही काटा अपना जीवन प्रभु प्रेम में 
सनेत्र बांधी पट्टी गांधारी ने और पाया अंधत्व का दारुण दुःख

बांटी गई पांचाली पांच पतियों में जो व्याही गयी सिर्फ अर्जुन को 
कांप उठती है आत्मा जब भी सोंचती हूँ इन सबके दुःख को 

पुरुष ने तो हमेशा ही भोगा त्यागा और कष्ट दिया इन सबको 
अग्नि परीक्षा तो दी है सदैव नारी और अबला ने

कष्ट, दुःख,  विरह-वेदना सबको झेला है हर युग में उसने 
ना ही कोई युग बदला , ना ही बदली हमारी सोंच

हम कितना आधुनिक युग में चाहे जी ले पर 
त्याग बलिदान आज भी है हिस्से में तो नारी के कांधो पर..  

मेरी दुनिया

ग़मों से तो बहुत पुराना नाता रहा है हमारा 
होश संभाला तो लड़का न होने का मलाल करते पाया 
कुछ बड़े हुए तो रंग सांवला होने का ज़माने ने लगाया ताना 
जैसे-तैसे व्याह हुआ तो ना मिला वहां भी कोई हमारा
ना देखता गुणों को कोई वस अपबाद बताते सारा  

फिर  जन्मी बेटियां , वो भी दिया दोष हमारा  
बेटियां लातीं इनाम और पिता की सारी तकलीफों
सारा हिस्सा था हमारा 
पर कहते है न की घूरे के भी दिन बहुरते हैं ?  
हमारा भी समय चक्र पलटा और पाया बच्चो अपने बच्चो का सहारा 
बेटियों ने किया नाम रोशन और जगमग हुआ आज संसार हमारा ..

मेरे अपने

कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जिन्दगी में 
कि जुड़ जाते है वो जीवन चक्र कि धारा में 
पास रहकर कर जाते हैं वो आत्मा त्रप्त 
और दूर रहकर भी उनकी दुआएं करती हैं संतप्त 
दिल से दी गई दुआ का भी असर दिखता फ़ौरन 
हर मुश्किल घडी कटती है ऐसे जैसे शेर को देखकर भागे हिरन 
दिल हमारा भी देता है दुआ उनको कि रहे हमेशा उनकी हम पर नज़र 
पाएं वो भी सारे जहाँ की खुशियाँ और कुदरत का न हो उन पर कहर ..

शनिवार, 4 जून 2011

परउपदेश, कुशल बहुतेरे

बहुत है आसां है दूसरों को सीख देना 
पर कर गुजरना है बहुत मुश्किल 
कहना तो बहुत आसां है दरिया में कूद जाओ 
पर साथ ही खुद करके दिखाना है बा मुश्किल 
दूसरो को सीख भी तभी दो जब हिम्मत दिखाओ खुद कूदने की 
कुछ कर गुजरेंगे, जब ऐसा जमाना भी करेगा कद्र जज्बे की...

शुक्रवार, 3 जून 2011

बेटियां ही कियूं सहती हैं

बेटियां जब कोख में आती हैं तब भी दुःख देती हैं 
पैदा जब होती हैं, इस घिनौने संसार में तब भी दुःख देती है 
बड़ी जब होती हैं शोहदे छेड़ते हैं तब भी दुःख देती हैं 
ब्याह कर जाती हैं ससुराल और झेलती हैं पीड़ा तब भी दुःख देती हैं 

छुपाती हैं ठेरों गम, तकलीफे अपने दामन में तब भी दुःख देती है 
जब कभी झेलती हैं पुरुष का दम और दर्श तब भी दुःख देती है 
सास- ससुर , देवर नन्द के कटाक्छ हंसकर झेलती हैं तब भी दुःख देती हैं 
रखती हैं कदम जब मातृत्व की ओर और उठती है तकलीफें तब भी  देती दुःख हैं 

झेलती हैं मातृत्व पीड़ा का दारुण दुःख तब भी दुःख देती हैं 
और जब वो बनती हैं बेटी की मां और सहती हैं अत्याचार 
पारिवारिक क्लेश , पति का आतंक तब भी दुःख देती हैं 
आखिर ये सब बेटियां ही कियूं सहती हैं. ? 

रिश्ता वफ़ा का

एक विकलांग पुरुष चड़ा दुकान पर धीरे- धीरे 
माँगा उसने पत्नी के लिए नाक का फूल  
दिखाए थे उसको कई डिज़ाइन पर न एक भी कर पाया पसंद 
बाइक पर बैठी थी बाहर पत्नी , ले जाकर दिखाता था उसको बार- बार 
खीझ कर हमने कहा क्यूँ नहीं पत्नी को बुलाते हो एक बार 
फ़ौरन बोला वो नहीं आ सकती है वो बीमार  
शक हुआ , बाहर झाका गौर से देखा उसको एक बार 
उसी पैर से विकलांग पुरुष की पत्नी भी थी विकलांग 
नाक का फूल खरीदकर गया वो पत्नी के पास हंसकर 
दोनों विकलांग पति -पत्नी का हौसला देखकर 
मन दे रहा था उनको ठेरों दुआएं बार- बार 
काश ऐसा की होता हम सब का जीवन -संसार
जिसमे होता प्यार और विश्वास भरा उल्लास ...


मायने ख़ुशी के

अपनों का मिलना क्या यही है मायना ख़ुशी का ?
शेयर बाजार में अर्जित धन यही है मायना ख़ुशी का ? 
या जमीन जायदाद में हो रहा मुनाफा मायना है ख़ुशी का ? 
धन संपत्ति में होता भरी उछाल क्या मायना है ख़ुशी का ?
ठेरों सोना, चाँदी बैंक बैलेंस है मायना ख़ुशी का ?
हाँ है, यह भी है मायना ख़ुशी का पर है यह किसका 
आन्तरिक आनंद , स्वस्थ काया, मानसिक संतोष ध्येय हो जिसका 
पाया है दुनिया का हर सुख उसने, बाल भी बांका न हो सकता उसका  .......
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  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...