गुरुवार, 27 अगस्त 2020
तन का रंग तो सबने खूब धोया पर ह्रदय में ना झांक पाया कोई
काया बना ली कोरी अपनी पर आत्मा और दिल ना बदल पाया कोई
आतंक,दहशत ,जुल्म ,झूठ ,फरेब के पक्के रंगों से आत्मा है सरोवार
काश हम देख पाते झांक कर अंतस में अपने ,काया को निर्मल किया होता एकबार
काया बना ली कोरी अपनी पर आत्मा और दिल ना बदल पाया कोई
आतंक,दहशत ,जुल्म ,झूठ ,फरेब के पक्के रंगों से आत्मा है सरोवार
काश हम देख पाते झांक कर अंतस में अपने ,काया को निर्मल किया होता एकबार
होली के रंग विखराते अद्भुत घटा और ना होती होली बदरंग
खुद भी मनाते पावन त्योहार ,दुनिया को प्यार के रंग से करते सरोबार
खुद भी मनाते पावन त्योहार ,दुनिया को प्यार के रंग से करते सरोबार
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