
एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
क्या खूब कहा है किसी ने सच में होते हैं ऐसे लोग
सामने कुछ और,पीछे कुछ बाते बनाते ही रहते हैं लोग
मन भर उठता है जब देखते हैं रोज ऐसे १०-२० लोग
क्या दुनिया में अपना कोई नहीं पूछता है मन हमसे रोज
इस मन को कैसे समझाएँ की होते नहीं हैं सब अपने लोग
सामने दुआए पीछे बददुआएं पल पल रंग बदलते लोग
दिल करता चीत्कार , आत्मा हाहाकार देखकर आसपास ऐसे लोग
पर क्या करें दुनिया- दारी तो न छोड़ी जाएगी चाहें कुछ भी करे लोग
दिल की न सुनकर दिमाग से ही पहचाने जाते हैं ऐसे लोग
कितना भी मजबूत रक्खें पर दिल फिसल ही जाता है देखते ही ऐसे लोग
चिकनी चुपड़ी, निज प्रशंशा सुनने को मन ढूंडता है ऐसे लोग .........