शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017


वाघ ,चीता ,सियार सभी हैं जंगली हिंसक प्राणी
बाल्यावस्था से सुनते ,समझते और गुनतेआये हैं सभी
क्या कभी अपने नौनिहाल , प्रियेजन को सौंपा है इन वनचरों के समीप
ना किसी ने बताया ना किसी ने हमको समझाया है कि खतरा है बहुत इनके करीब
बस हमको पता है ,क्या सही है और क्या अनुचित है
हमने यह पाठ अपने बालकों को भी समझाया है
पर्याप्त दूरी ,मेलजोल ,संपर्क सब कुछ अनुचित बताया है
फिर क्योँ ,आखिर क्योँ हम अपने नौनिहालों को जानतेसमझते
सौंप देते है ,आसाराम ,रामरहीम ,जैसे बनेलों के करीब
,आँखे ,आत्मा सबको ताक पर रखकर अपने तथाकथित इश्वर के करीब
कभी ना पलटते ,देखते अपनी उन मासूम कलियों को ,ना जाते उनकी आत्मा के करीब
बताई गर कोई तकलीफ तो फिर फेंक देते वापिस उसी बाड़े में
जनावर का तो धर्म हैः नोचना ,चीरना फाड़ना,जो भी है उसके बाड़े में
गलती तो हम रोज़ करते क्यूंकि पैदा कर देते हैं हर रोज़ एक नया व्याघ
उसकी खुराक ,तृष्णा ,इच्छा ,अपने नौनिहालों को सौंपकर

बुधवार, 20 दिसंबर 2017




जियो अपने लिए ,हंसो अपने लिए


सोचो सिर्फ अपनी ही भूलों के लिए


ख़ुशी महसूस करो अपना आत्मचिंतन कर


अवसाद के चंद लम्हे गुजारो अत्मिश्लेशन कर


जीवन गुजारो निज आत्मा को शुद्ध करके


जैसे घर को बुहारते हो नित्य साफ़ -सफाई करके


जीवनकाल तो इतना सूक्षम है निज मंथन के लिए


बाल्यावस्था से वृधावस्था तक ना किया कुछ स्व विकास के लिए

मंगलवार, 19 दिसंबर 2017





गिरगिट सरीखे रंग बदलना 
कबूतर मानिद आँख मूँद लेना 
गीध सी तेज नज़र ,बहुत कुछ है सीखना 
जिन्दगी जीना है अगर तो पड़ेगा जरूर सीखना 
लोमड़ी सी मौकापरस्ती ,इन जानवरों से सीखो जीना
देखे हैं हमने ढेरों पारंगत इन विविध कलाओं में
सीको दोस्तों इनसे कुछ बरना मुस्किल हो जायेगा जीना


बलशाली 
कितने चतुर ,और कितने काबिल 
उम्दा वीर और महान बलशाली 
देखे और सुने हैं धराशायी होते हमने 
आँखों से भरभराते साम्राज्य को देहते हमने 
और जब चला ऊपरवाले का रहमोकरम 
चींटी को भी तमाम कायनात सम्हाले देखा हमने

Roshi: शिकायतें ,रिवायतें ,निभाते चले गए रस्मों ,रिवाजों ...


                                                                  

 
 शिकायतें ,रिवायतें ,निभाते चले गए  रस्मों ,
रिवाजों के मकड़जाल को सुलझाते चले गए  
ना कुछ हासिल कर सके ,
ना ही कुछ बदल सके  हम सब ही ढोल चाहे आ...
                                                                 साम्राज्य


कितने चतुर ,और कितने काबिल 
उम्दा वीर और महान बलशाली 
देखे और सुने हैं धराशायी होते हमने 
आँखों से भरभराते साम्राज्य को देहते हमने 
और जब चला ऊपरवाले का रहमोकरम 
चींटी को भी तमाम कायनात सम्हाले देखा हमने
                                                                          .....रोशी
आध्याए



मदद करो और भूल जाओ सिखाया था माँ ने हमको 
इससे आगे का पाठ ना पदाया था माँ ने हमको 
राहे जिन्दगी ने सिखाया नया आध्याए हमको 
अपनी खुशियाँ ,उसूल ,जिन्दगी को दरकिनार कर 
ना करो मदद दोस्तों तजुर्बे ने सिखाया हमको
रोशी...

शनिवार, 28 जनवरी 2017

व्यथा




आधुनिक परिवेश में सीता ,उर्मिला की व्यथा
चौदह वर्ष कैसे गुजारे होंगे सती ने उन पिशाचों के बीच
ना कोई ख़त न था कोई सन्देश परस्पर पति -पत्नी के बीच
इंतजार भी खतम हुआ उस निर्मोही का ,भेज दिए थे जिसने दूत
छुद्र मानसिकता का जिसने दिया था अपना सबूत
वनगमन को जाते ना सोचा कदापि उस नववधु उर्मिला के वास्ते
कर दिया उसके सपनों पर तुषारापात ,अँधेरे कर दिए थे उसके दिन और रात
काश दिखाया होता बद्दप्पन ,ना छुड़ाया होता उर्मिला से लच्छमन का साथ
उसकी पीड़ा का नहीं है कंही इतिहास में कोई पन्ना
नामुमकिन है उर्मिला सरीखा जीवन जीना
काश राजा राम ने दिखाया होता थोडा सा भी बद्दप्पन
निज आदर्शों को त्याग कुछ सोच होता उपर उठकर
तो दोनों बहनों की ताक़त ,त्याग ,को जमाना देखता कुछ हटकर

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...