बच्चो को दुलारती- पुचकारती माँ
दिमागी रूप से अविकसित पगली थी वो माँ
पर ममता, प्यार कहीं भी न थे कम उसमे
बच्चो की तरफ जैसे ही झपटा एक कुत्ता तत्काल ही उसने
चंडी सा किया रूप धारण और भिड गई कुत्तो से वो माँ
माँ तो माँ होती है , हों चाहें वो ठीक या हो पगली प्रतीत
पर ईश्वर तो भर देता है कूट-कूटकर मातृत्व और बना देता है माँ