व्याह कर आई वो नव्योवना ,उतरी डोली से सजन के अंगना
अपनी गुडिया ,सखी-सहेली ,ढेरो यादे छोड़ आयी बाबुल के अंगना
माँ-बाप की दुआएं ,भाई -बहनों का प्यार आशीर्वाद और लाज का गहना
बस ये ही दहेज़ था उसके दमन में और थी माँ की सीख
सुख हो या दुःख,तुमको है उसी ससुराल में मिल कर रहना और सहना...........