रोज़ सीखते हैं जिन्दगी से एक नया सबक
मान बैठते हैं खुद को सर्वश्रेष्ठ प्रतिदिन 
सोच बैठते हैं परम ज्ञानी खुद को हर दिन 
वक़्त का पहिया कब रुका है ?चलता है निसदिन 
किताबी ज्ञान तो बहुत सीखा गुजर गया बचपन 
जिन्दगी सिखाये जो सबक ,तजुर्बे सीखो उनको प्यार ,मोहब्बत से निसदिन 
इम्तेहान भी लेती है बिन कहे जिन्दगी,काम आता है इसमें दैनिक जिन्दगी का ज्ञान
                                                                                         --रोशी
