गुरुवार, 11 मई 2023

 जितनी नफासतऔर मोहब्बत चुनाव के दौरान होती है काश सदेव होती

जितनी खामियां प्रत्याशी कोचुनाव के दौरान हैं दिखती काश सदेव दिखतीं
बस्ती ,गली ,मोहल्ला है बेजार रहता पूरे साल ,सब पर उनकी नज़र है जाती
अव्यवस्था ,तकलीफें आम आदमी की दिमाग में कभी ना प्रत्याशी के आतीं
चुनाव आते ही हर तरफ नज़र जाती है सबकी और करते हैं सुधारने का वादा
सट्टा के मद में सब भूल बैठतें हैं की क्या किया था उन्होंने जनता से वायदा
हम देख समझ कर चुनते हैं अपना प्रतिनिधि पूरी उम्मीदों ,आशाओं के साथ
गर समझ लें सब अपनी जिम्मेदारी समाज के प्रति तो मिलेगा हमको पूरा इंसाफ
रोशी

  जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...