शुक्रवार, 27 मई 2011

Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न

Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न: "बरसो बाद आज मिली वो मुझे बीमार, असहाय , मानसिक अवसाद से त्रस्त थी वो हँसना, मुस्काना खिलखिलाना गई थी वो भूल बुत सरीखी प्रतिमा लग रही थी ..."

Roshi: जिन्दगी

Roshi: जिन्दगी: "जिन्दगी ने दी ठेरों खुशियों और नवाजा अनेको सुखो से पर थोड़े से दुखो में ही रही उलझी और ना सामना हुआ उनसे हम क्यूँ ना देख पाते हैं वो खुशिय..."

  कुम्भ है देश विदेश सम्पूर्ण दुनिया में छाया असंख्य विदेशियों ने भी आकार अपना सिर है नवाया सनातन में अपना रुझान दिखाया ,श्रधा में अपना सिर ...