शुक्रवार, 27 मई 2011

Roshi: जिन्दगी

Roshi: जिन्दगी: "जिन्दगी ने दी ठेरों खुशियों और नवाजा अनेको सुखो से पर थोड़े से दुखो में ही रही उलझी और ना सामना हुआ उनसे हम क्यूँ ना देख पाते हैं वो खुशिय..."

  हिंदी दिवस के अवसर पर ...हिंदी भाषा की व्यथI ----------------------------------------- सुनिए गौर से सब मेरी कहानी ,मेरी बदकिस्मती खुद मेरी...