गुरुवार, 8 मई 2014

घरोंदा

घर के आँगन में रखे छोटे पेड पर देखी कुछ ज्यादा ही चहल-पहल
दो नन्ही खूबसूरत चिडियाँ का बढ़ गया था एक छोटे से बोनसाई पर
उत्सुकता बड़ी ,जाकर देखा बड़ा ही अद्भुत घोंसला बना लिया था चटपट दोनों ने
इतनी बेमिसाल कारीगरी से दोनों ने बनया था अपना नया आश्याना
छोटे छोटे तिनके संजोए थे दोनों ने पूरी शिद्दत के साथ अपने नए घरोंदे के वास्ते
तेज आंधी भी ना डिगा पा रही थी उनका अद्भुत घरोंदा ,ना हिला सका प्रचंड बारिश का वेग
एक या शायद बस दो दिन में ही बना लिया था दोनों ने वो घोंसला
आज दोनों पक्षी थे नदारद ,ना दिखी उनकी चहल-पहल
अचनक नज़र पड़ी तो देखी बैठी चिडया घोसले में अपने अण्डों के साथ
प्रकृति के कितने हैं अद्भुत रूप और रंग ............
प्रसव से मात्र एक या दो दिन पहले ही निकले थे दोनों चिड़ा-चिडया एक साथ
अब मात्र माँ ही अण्डों को से रही है ,कर रही है वो बालकों का इंतज़ार
चिड़ा अब है नदारद शायद किसी और दिशा में कर गया है पलायन
पर माँ को तो अब है इंतज़ार अपने नौनिहालों का .........

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...