आया था करवा चौथ का त्यौहार
पिछले कई महीनो से मारपीट, चल रही थी उसके पति से लगातार
चार दिन पहले ही थाना-कचहरी की हुई थी दरकार
न आने का कारन पूछा तो बोली, जाना था कोतवाली रोज लगातार
जुल्मी, शराबी को मैंने करवा दिया है बंद अब न आयेगा वो बाहर
पर उस रोज सब भूल गई उसके जुल्म, सितम और अत्याचार
पूरा स्साज श्रंगार, पीछे तक भरी मांग भरा पूरा था श्रंगार
कितना मासूम और कोमल बनाया है विधाता ने नारी का दिल और दिमाग
झट से भूल जाती हैं सभी अत्याचार और पति का हिंसक व्यव्हार
यही तो है हमारी भारतीय परंपरा, मान्यता और हमारे अदभुत संस्कार...