कुछ सुख हर इंसा की किस्मत को नहीं होते नसीब
पर इस सुख का हमने आनन्द उठाया है भरपूर और खूब
आज जी हमारा चाहा कि हम इसको बाँटें सबसे और खुश हो जाये खूब
वो सुख जो हमको मिला वो है दोस्ती और चला आ रहा बाखूब
हमने तो चाहा इस रिश्ते को दिल से निभाना पर दोस्तों ने इसको निभाया है खूब
हर सुख दुःख, तकलीफ और दर्द हमसे बांटा और राह दिखाई खूब
हर मुश्किल , कमजोरी , परेशनी पर बढाया हाथ, दिया साथ खूब
कई बार दिल था टूटा, माँ का था जब साथ छूटा
यही थे फ़रिश्ते जिन्होंने था संभाला हमको खूब
हम पूछते है आपसे किया यह सुख आपको हुआ है नसीब
अगर नहीं तो कियूं ना आप भी कोशिश करे बनायें अपना नसीब
इस सुख पाने के हैं गुण अनेक :------>>>>
१. न कभी दोस्त की बुराइ करे न सुने.
२. न कभी इसकी उससे ना उसकी इससे कहें
३. दोस्त को दें अपना दिल बापस ले ले उसके दर्द
४. यह रिश्ता ऊपरवाले ने बनाया और हमने दोस्ती से निभाया
५. दोस्तों के साथ हर शै , हर वक्त का मजा ले खूब . .
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010
उमंग
![]() |
उमंग अपने आंगन की |
कारण है इसके अंतस में समेटे खुश है वो खूब
बालकों का कलरव घर आँगन है खुशियों से पूर्ण
हृदय में है अनेको उमंगें उत्साह और प्यार सम्पूर्ण
नाती का वो ठुमकना, चलना ,मचलना और इठलाना
कर राह था वो सबको आनंदित घर आँगन था गुंजरित.
व्यंजनों की चटपटाहट, बर्तनों की खडखडाहट
रसोई से उडती थी खुशबू और थी बच्चो की सुगबुगाहट
बर्तनों की खड-खड, सेवको की चिड-चिड और अतिथियों की हर पल आहट
कब होता सूर्योदय और होता था कब अस्त ना थी कुछ खबर ना ही भनक
मन भरता था कुलाचें और मस्तिस्क बहुत ही व्यस्त
लगता था जिंदगी यूँ ही चलती रहे, शाश्वत और अनवरत
समय का चक्र ना कभी रुका है ना ही रुकेगा
हर पल को जी कर, दामन में समेट कर
खुशियाँ लुटाकर, संतोष लूटकर
ह्रदय प्रफुल्लित है, आनंदित है हर पल जी कर ...
आन्या की पहली होली
फागुन की मस्ती
फागुन की मस्ती है तन मन में है छाई
बगियन में कोयल ,कुंजन में बौर है अलसाईं
नित नवपल्लव संग ,पुष्पों से बगिया है महकाई
प्रकृति ने धरा पर पीत पुष्पों की चादर है फहराई
होली खेलें अदिति संग नीरज देखत माँ है हुलसाई
होली खेलें अदिति संग नीरज देखत माँ है हुलसाई
राघव, अनुभव की मस्ती देख है भावी मुस्काई
होली की बधाई ,बधाई और ढेरों बधाई )--
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
हिंदी दिवस के अवसर पर ...हिंदी भाषा की व्यथI ----------------------------------------- सुनिए गौर से सब मेरी कहानी ,मेरी बदकिस्मती खुद मेरी...
-
रात का सन्नाटा था पसरा हुआ चाँद भी था अपने पुरे शबाब पर समुद्र की लहरें करती थी अठखेलियाँ पर मन पर न था उसका कुछ बस यादें अच्छी बुरी न ल...
-
हम स्वतंत्रता दिवस पूरे जोशो खरोश से मना रहे हैं बेशक हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गए हैं धर्म ,जाति की जंजीरों में हम बुरी तरह जक...
-
आया था करवा चौथ का त्यौहार काम बाली-बाई देख चौक गए थे उसका श्रंगार पिछले कई महीनो से मारपीट, चल रही थी उसके पति से लगातार चार दिन पहले ही...