शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011
मुलाकात

जिसकी हुई थी अभी-अभी सगाई
मुलाकात हुई उसकी काली-घनेरी फैली जुल्फों से
मुलाकात हुई उसके ललाट पर चमकती बिंदिया से
मुलाकात हुई उसकी आँखों में पलते मीठे सपनो से
मुलाकात हुई उसके लज्जा युक्त-रक्त होते कपोलो से
मुलाकात हुई उसके अनछुए लरजते काँपते होठो से
मुलाकात हुई उसके चहरे पर छाई अदभुत लालिमा से
मुलाकात हुई उसकी गर्व से उठी ग्रीवा से
मुलाकात हुई उसकी अल्लहड़ अनछुई जवानी से
मुलाकात हुई उसकी नाजुक बलखाती कमरिया से
मुलाकात हुई उसकी मदमस्त चाल से
मुलाकात हुई उसके लहराते हुए आंचल से
मुलाकात हुई उसकी नई मीठी बातो से
नव संबंधो ने ही एक दिवस में उस युवती
पल भर में ही जवां और हसींन बना दिया था
ऐसा ही होता है प्रेम बंधन ...
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