मंगलवार, 25 जुलाई 2023

 

लरजते,बरसते मेघ बरसा रहे यदा कदा शीतल फुहार
तन -मन का मिटे ताप ,प्रकृति ने ओडी हरितमा की चादर
कोयल की कूक ,पपीहे का गान, गूँज उठे सभी खेत खलिहान
तृप्त धरा हुई परिपोषित ,झूम उठे सम्पूर्ण खेतों के धान
मौसम ने बदला माहौल नाच उठे मयूर वन -उपवन में
फिजां में गूँज उठे गीत सावन के ,ढोलक की थाप गूंजे घर आँगन में
घूमर ,नृत्यों से सज गयीं महफिलें ,लहंगा चुनरी छायी सब अंगनो में
सजनी खडी ड्योडी पर राह तके प्रियतम की ,आया मस्त सावन सजीला
क्यूँ गए पिया परदेस सावन में ,वयां न कर सके अलबेली सखियों संग अपनी पीड़ा
--रोशी
May be an image of 4 people and people dancing
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