पुरानी यादों का बक्सा तो सबके पास होगा
सभी ने उसको अब तक सहेज कर रख छोड़ा होगा 
गाहे -बगाहे उसमें रखे यादों के पन्ने तो जरूर सरसराये होंगे 
कुछ पुरानी यादों ने अलबत्ता आँखों के कोर जरूर भिगोये होंगे 
कुछ सखियों के साथ की चुहल-बाज़ियाँ ने मन को बरसों पीछे खींचा होगा 
कभी छोटे से टुकड़े पर की कढ़ाई जो आज भी बक्से में नीचे अहतियात से सँजो रखी होगी 
कितनी बेशकीमती यादें उस बक्से में आज तक रख छोड़ी हैं ,शायद ज़िंदगी भर 
कभी न कभी हम एक छोटी सी दुनिया में ,पूरे जहां की खुशियाँ समेट लेते हैं उम्र भर 
अखबार की कतरनें ,लतीफों का खजाना ,कुछ पुरानी तस्वीरें  बस फालतू सी चीज़ें कब बन जाती हैं जान से भी ज्यादा प्यारी समेटते रहे जो बचपन भर 
कभी -कभी खोल कर हवा लगा देते हैं उन बेमतलब चीजों को समेट कर 
हिम्मत बटोरते हैं फैकने की उनको ,पर हाथ बेसाख्ता रुक जाते हैं हर बार  
                                                                                                    रोशी-