सोमवार, 31 अक्तूबर 2022

 विभीषण था भाई रावण का पर स्वभाव साधू सा पाया

दुर्योधन का साथ रहा सदेव पर कुटिलता मृत्यु तक ना त्याग पाया
जन्मजात गुण -अवगुण सदेव रहते साथ जीवन भर कोई ना बदल पाया
सर्प भले ही लिपटे रहें चंदन पर ,जहर उगलना ना त्याग पाया
प्रकृति प्रदत्त स्वभाव कदापि कोई लाख जतन कर ले ना बदल पाया
बचपन के कुचक्र ,अंतर्द्वंद चलते जीवन भर साथ ,कोई कम ना कर पाया
सत्संगति ,संस्कार ना बदल पाए कभी किसी की दुर्बुधि यह इतिहास ने बताया
अहम् ,इर्ष्या,द्वेष,लिखे होते हैं उसकी नियति में ,विधाता ने ऐसा उसको बनाया
प्रेम ,संस्कार ,विद्या कुछ भी ना ला सकते बदलाव ,यह ईश्वर ने है बताया
ह़ार गए कृष्ण ,विभीषण,सरीखे जैसे संत पर कुटिलता कोई ना तज पाया
--रोशी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...