जो जज्बा, हिम्मत था मन में कंही दबा .
पढती थीं, देखती थी, सोचती थीं तो लगता था नामुमकिन
पर कुछ कर गुजरने की चाह ने बना दिया था इतना मजबूत
की अब हर मुश्किल भी लगती थी आसान
अब हर सवाल का जबाब और नसीहतों का था उस पर ठेर
दूसरों को देने की सलाह और पाने को कामयाबी
अनेको उलाहने, तकलीफें, उठा कर पायी थी मंजिल
जो जुटा पायी थी वो खो कर बहुत से हसींन लम्हे
हिल गया था जो सम्पूर्ण वजूद और अस्तित्व
जुटा पायी थी तभी सारी तकलीफों के हल
सारा जोश, ताकत समेट कर वह अपने दामन में
खुद को बना पायी थी इस लायक वो घर आंगन में
आसां नहीं है जिन्दगी की यह टेड़ी- मेडी डगर
पहले गिरना फिर उठना और चलना सीख लिया है उसने
अब कोई भी झंझाबत नहीं दबा सकता उसका जोश
क्यूंकि सीख गयी है वह ''जहाँ चाह है, बहां राह है'' का मतलब
इसी सीख का दामन पकड़कर पा गयी वो जीने का मतलब
जिन्दगी जो लगती थी बेमतलब उसी जिन्दगी को बना लिया है
हंसी ख़ुशी जीने का सबब ................................