गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

नन्ही बिटिया



जब गर्भ में थी बिटिया तो कभी ना आया ख्याल उस गुनाह का
क्यूंकर हम हत्या करने जा रहे थे मासूम जिंदगी की ,नन्ही कली की
क्योँ ना हुआ गुमा हमको एक पल भी उस मासूम का अस्तित्व नेस्ताबूत करते वक्त
जब -जब कोई पायल की सुनेंगे रुनझुन याद आयेगी यह ही बिटिया
रंगीन ओड़नी,सितारों से लकदक लहंगा देख रोयेगा मन इस बिटिया को याद कर
हाथों पर मेहँदी के बूटे सखियों के देख रुकेगी ना आंसूओ की लड़ी
नवरात्रों में जब ना होगी कोई कन्या आसपास पूजने को उसके पाँव
भाईओं की जब रहेगी सूनी कलाई ,ना दिकेगी कोई बहिन उनके आस -पास
माँ की पीड जो समझ लेती चुटकी बजाते पल -भर में ,
नन्ही कलाइयों में रंग -बिरंगी चूड़ी खनकाती ना  नज़र आएगी मासूम बिटिया
सुबह आँख खुली और सपना टूटा,और बच गए हम उस गुनाह से
जो करने जा रहे थे क्रूरतम पाप अपने हाथों से  

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