सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

 श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम

स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम
दुनिया में बेशुमार जिस्मानी कमियों के साथ जीते हैं लोग
जिन तकलीफों का तस्सवुर भी सपने में ना कर सकते हम
तब अंदाजा होता है अपनी रहमतों का जिनके साथ जीते हैं हम
थाली में ना हों दो निवाले ,सर पर ना हो छत ऐसे भी जीते हैं ढेरों जन
बंदूकों के साये में कट जाती जिन्दगी जो सोच भी ना सकते हैं हम
बंधुआ मजदूरी ,हाड़ तोड़ मेहनत ऐसे भी जीते हैं ढेरों आमजन
कितनी बेशकीमती सुख,-सुविधा दी रब ने हमको यह जान ना सके अभी हम
वक़्त रहते शुकराना अदा करो हर पल उसका जो जिन्दगी जी रहे हैं हम
--रोशी
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