मंगलवार, 13 मई 2014




बचपन से ही ज्यादातर लड्कियौं को सिखा दिया जाता है
यह करो ,वो ना करो ,यहाँ जाओ .वहाँ ना जाओ .....
उनकी सोच ,उनकी समझने की शक्ति को कुचल दिया जाता है
उनके वस्त्र ,उनकी शिक्षा ,उनका घूमने -फिरने के दायरे पर
हम खींच देते हैं एक लक्ष्मन -रेखा ,जिसके भीतर सिमट जाते हैं उनके सपने
उनका जीवन बन के रह जाता है ,माफिक एक पर -कटे परिंदे के
जिसको रख देते हैं एक पिंजरे में ,और वक्त पर परोस दिया जाता है भोजन
क्योँ नहीं हम दे पाते हैं ?उनको एक स्वछंद वातावरण ,एक उन्मुक्त जीवन
काश हम सब दे पाते एक नीला ,सुंदर आसमां अपने पंख फडफडाने को
जिस गगन तले जब चाहें,जैसे चाहें अपने पंख फडफडाने को ......

रविवार, 11 मई 2014

माँ

हर पल याद आता है वो माँ का निश्चल प्यार -दुलार
वो दांत-फटकार ,वो उलहाने ,आँखों में समाया था उनके छोटा सा संसार
हर घडी उनका रोकना -टोकना लगता था तब कितना निरर्थक
पर आज यूं लगता है जीवन हुआ है उन सीखों से कितना सार्थक
अप नी पीड़ा ,दुःख ,तकलीफ का ना होने दिया कभी एहसास
बस बच्चे ही थे उनकी दुनिया ,और वो रही सदा अपनी धुरी के आसपास
आवाज़ से ही जो जान लेती है बच्चों की पीड़ा ,और ईश्वर से जो मांगे औलाद के गम
अपने दामन में भरने को..... संसार में सिर्फ कर सकती है  सिर्फ माँ ,माँ और माँ

गुरुवार, 8 मई 2014

घरोंदा

घर के आँगन में रखे छोटे पेड पर देखी कुछ ज्यादा ही चहल-पहल
दो नन्ही खूबसूरत चिडियाँ का बढ़ गया था एक छोटे से बोनसाई पर
उत्सुकता बड़ी ,जाकर देखा बड़ा ही अद्भुत घोंसला बना लिया था चटपट दोनों ने
इतनी बेमिसाल कारीगरी से दोनों ने बनया था अपना नया आश्याना
छोटे छोटे तिनके संजोए थे दोनों ने पूरी शिद्दत के साथ अपने नए घरोंदे के वास्ते
तेज आंधी भी ना डिगा पा रही थी उनका अद्भुत घरोंदा ,ना हिला सका प्रचंड बारिश का वेग
एक या शायद बस दो दिन में ही बना लिया था दोनों ने वो घोंसला
आज दोनों पक्षी थे नदारद ,ना दिखी उनकी चहल-पहल
अचनक नज़र पड़ी तो देखी बैठी चिडया घोसले में अपने अण्डों के साथ
प्रकृति के कितने हैं अद्भुत रूप और रंग ............
प्रसव से मात्र एक या दो दिन पहले ही निकले थे दोनों चिड़ा-चिडया एक साथ
अब मात्र माँ ही अण्डों को से रही है ,कर रही है वो बालकों का इंतज़ार
चिड़ा अब है नदारद शायद किसी और दिशा में कर गया है पलायन
पर माँ को तो अब है इंतज़ार अपने नौनिहालों का .........

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...