माँ का स्पर्श होता जादुई तिलिस्म औलाद के वास्ते जन्म से
चंद लम्हों में ही पा जाती औलाद सम्पूर्ण सुख दुनिया के
माँ के आंचल में सिमटी होती बालक की छोटी सी दुनिया जिसमें
हाथ पोंछना हो या आंसू ,सब कुछ पा जाता हक से वो खुद ही इसमें
चंद सिक्के हों या हो टाफी बांध लेती खज़ाना छोर पर आँचल के
जादू भी अनोखा जानती है मां बाखूबी ,नहीं है दुनिया में कोई इसका सानी
हर उलझन ,समस्या औलाद की तड़प जान जाती बिन बोले यह दीवानी
यूँ ही सर्वोच्च स्थान मां को नहीं गया है नवाज़ा ,होती है अद्भुत गुणों की खान
औलाद की खातिर प्राणों की आहुति देने में चूकते ना कभी पशु ,पक्षी और इंसान
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