सोमवार, 7 सितंबर 2020

वैलेटाइन दिवस

दुनिया मना रही है वैलेटाइन दिवस
प्रेम- प्रदर्शन करने का सुन्दर दिवस 
सिर्फ एक ही दिन क्यो इस प्रेम के लिए 
364 दिन भी क्या कम हैं इस भाव के वास्ते 
सिर्फ झूठी मोहब्बत का दिखावा थोथा प्यार 
बस यही कुछ बचा है सिक्का जमाने को आज के बास्ते
मीरा का प्रेम ,राधा का प्रेम .सीता और सावित्री का प्रेम 
सब भूला बैठे और अपना ली पाश्चात्य शैली दिखाने को प्रेम
जिसकी ना है कोई नीव, ना कोई मंजिल ना ही है कोई भविष्य 
 विदेशी मनाते हैं ,तो हम क्यों रह जाए पीछे हैं आज के युवा मानते
हमारी सभ्यता में तो प्रेम के हैं ढेरो रूप ,विखरे पडे है उनको ना देखते
माता- पिता ,भाई - बहन, पति-पत्नी ,नानी-दादी बुआ-मौसी
अनेको और अद्भुत हैं रिश्ते और हैं अनेको उनके रूप
किसी से भी ,कहीं पर भी ,निभा सकते हैं लुटाकर प्यार भरपूर 
 365 दिन भी कम पड़ेंगे गर बदला नजरिया पाओगे प्यार खुद भी भरपूर

 माँ की सीख



 

मेरी तो दुनिया है मेरे बच्चो में ,घर में ,अपनों में 

वो सब है तो दुनिया ही हर ख़ुशी है कदमो में 

छोटा सा घर , जहाँ हो सारे जहाँ की खुशियाँ यही चाहा था मैंने 

ना थे ऊँचे सपने ,ना ही ऊँची उडान पैर थे ज़मीं पर अपने 

शायद यही  घुट्टी दी थी माँ ने बचपन में हमको 

चादर देख ही पावं फैलाना अपने बिटिया, ना अनुसरण करना सबको

अपने बच्चो को भी सदा यही  घुट्टी पिलाई थी हमने 

चले थे अब तक जिस राह पर वही राह दिखाई थी उन्हें हमने

जिन उसूलो का दामन थामा था हमने वही थे आजतक हमारे अपने     

 

                                    रोशी

 

 

ठहराव

समुद्र की उफनती लहरें,अगाध जलराशि ने कर दिया था सबको स्तब्ध 
 विस्तृत रेतीले तट बस काफी थे देखने को एकटक 
दिखता ना था कोई छोर लहरें बस कर रही थी मन को तरंगित 
कितना कुछ समेटे है भीतर ,पर फिर भी हैं शांत,स्थिर
 ढेरो उतार चढ़ाव झेलता है हर पल ,अनगिनत राज़ समेटे है भीतर 

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...