समय चक्र कितनी तेजी से घूमता है बदल देता है जिन्दगी की रवानी
जिन्दगी में -भी पचास वर्षो में बदला बयां करनी है अपनी जुवानी
कब बचपन गुजरा बन गए माँ फिर सास और बन गए अब नानी
हमारी जिन्दगी में आयीं दो नन्ही परियां उनको
पाला-पोसा होती है हैरानी
फिर आया हमारा लाडला राघव, सिखाई जिसने हमको जीने की नई कहानी
विगत दस- पंद्रह बर्षो में उलट- पलट गई जिन्दगी की साडी रवानी
माँ को खोया, बीमारी, डिप्रेशन और मुसीबतों ने भुला दी थी जिन्दगी की कहानी
पहले था माँ का साया, तो कभी भी न महसूस होने दी उन्होंने कोई परेशानी
सबको सब सुख होते नहीं नसीब यही है हमारी जिन्दगी की एक छोटी सी कहानी
हमारा साथ दिया पापा ने बहन दोस्तों ने और बच्चो ने
थाम कर जिनका हाथ कभी भी न रुकी हमारी जिंदगानी
आगे समंदर था गहरा पर हमारी कश्ती में भी थी पूरी रवानी
धीरे- धीरे, रफ्ता-रफ्ता किनारे की ओर बढ रही है हमारी जिंदगानी