समय चक्र कितनी तेजी से घूमता है बदल देता है जिन्दगी की रवानी
जिन्दगी में -भी पचास वर्षो में बदला बयां करनी है अपनी जुवानी
कब बचपन गुजरा बन गए माँ फिर सास और बन गए अब नानी
हमारी जिन्दगी में आयीं दो नन्ही परियां उनको
पाला-पोसा होती है हैरानी
फिर आया हमारा लाडला राघव, सिखाई जिसने हमको जीने की नई कहानी
विगत दस- पंद्रह बर्षो में उलट- पलट गई जिन्दगी की साडी रवानी
माँ को खोया, बीमारी, डिप्रेशन और मुसीबतों ने भुला दी थी जिन्दगी की कहानी
पहले था माँ का साया, तो कभी भी न महसूस होने दी उन्होंने कोई परेशानी
सबको सब सुख होते नहीं नसीब यही है हमारी जिन्दगी की एक छोटी सी कहानी
हमारा साथ दिया पापा ने बहन दोस्तों ने और बच्चो ने
थाम कर जिनका हाथ कभी भी न रुकी हमारी जिंदगानी
आगे समंदर था गहरा पर हमारी कश्ती में भी थी पूरी रवानी
धीरे- धीरे, रफ्ता-रफ्ता किनारे की ओर बढ रही है हमारी जिंदगानी
9 टिप्पणियां:
Roshi ji is khubsurat prastuti ke liye hardik badhai.sunderta se apne apne barein me bata diya hai dil ko chu gaya aapke ye sansamran................badhai
आपने तो इन पंक्तियों के माध्यम से अपनी जिंदगी भर की सच्चाई बयां कर दी है ,सुन्दर प्रस्तुति ......पचास वर्ष पूरे करने की बधाई
बीते हुए पलों की सुन्दर प्रस्तुति ......पचास वर्ष पूरे करने की ढेरों शुभकामनायें...
samay agar theek se gujartaa hai to pataa nahee chaltaa hai
badhayee
ज़िंदगी इसी तरह आगे बढ़ने का नाम है। 50 वर्ष की उपलब्धियों के लिए बधाई।
जीवन की कहानी शब्दों की जुबानी, धन्यवाद.
धीरे- धीरे, रफ्ता-रफ्ता किनारे की ओर बढ रही है हमारी जिंदगानी.....
Bahut Sunder...Shubhkamnayen Apko...
बीते हुए पलों की सुन्दर प्रस्तुति ..50 वर्ष की उपलब्धियों के लिए बधाई।.. ढेरो शुभकामनाएं..
पचास सालों का अनुभव प्राप्त...आप को बधाई एवं शुभकामनाएँ...
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