बुधवार, 28 मार्च 2012

गम


ऐसा क्यूं होता है की किसी के हिस्से ढेरों गम ?
ज़माने  के ढेरो जुल्म और अनगिनत सितम
क्यों वो दे देता है सारी काएनात की रुसवाई किसी एक को
जरा भी ना सोचता है अपने नेक बन्दे का दर्देगम  

  जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...