शुक्रवार, 3 जून 2011

बेटियां ही कियूं सहती हैं

बेटियां जब कोख में आती हैं तब भी दुःख देती हैं 
पैदा जब होती हैं, इस घिनौने संसार में तब भी दुःख देती है 
बड़ी जब होती हैं शोहदे छेड़ते हैं तब भी दुःख देती हैं 
ब्याह कर जाती हैं ससुराल और झेलती हैं पीड़ा तब भी दुःख देती हैं 

छुपाती हैं ठेरों गम, तकलीफे अपने दामन में तब भी दुःख देती है 
जब कभी झेलती हैं पुरुष का दम और दर्श तब भी दुःख देती है 
सास- ससुर , देवर नन्द के कटाक्छ हंसकर झेलती हैं तब भी दुःख देती हैं 
रखती हैं कदम जब मातृत्व की ओर और उठती है तकलीफें तब भी  देती दुःख हैं 

झेलती हैं मातृत्व पीड़ा का दारुण दुःख तब भी दुःख देती हैं 
और जब वो बनती हैं बेटी की मां और सहती हैं अत्याचार 
पारिवारिक क्लेश , पति का आतंक तब भी दुःख देती हैं 
आखिर ये सब बेटियां ही कियूं सहती हैं. ? 

रिश्ता वफ़ा का

एक विकलांग पुरुष चड़ा दुकान पर धीरे- धीरे 
माँगा उसने पत्नी के लिए नाक का फूल  
दिखाए थे उसको कई डिज़ाइन पर न एक भी कर पाया पसंद 
बाइक पर बैठी थी बाहर पत्नी , ले जाकर दिखाता था उसको बार- बार 
खीझ कर हमने कहा क्यूँ नहीं पत्नी को बुलाते हो एक बार 
फ़ौरन बोला वो नहीं आ सकती है वो बीमार  
शक हुआ , बाहर झाका गौर से देखा उसको एक बार 
उसी पैर से विकलांग पुरुष की पत्नी भी थी विकलांग 
नाक का फूल खरीदकर गया वो पत्नी के पास हंसकर 
दोनों विकलांग पति -पत्नी का हौसला देखकर 
मन दे रहा था उनको ठेरों दुआएं बार- बार 
काश ऐसा की होता हम सब का जीवन -संसार
जिसमे होता प्यार और विश्वास भरा उल्लास ...


मायने ख़ुशी के

अपनों का मिलना क्या यही है मायना ख़ुशी का ?
शेयर बाजार में अर्जित धन यही है मायना ख़ुशी का ? 
या जमीन जायदाद में हो रहा मुनाफा मायना है ख़ुशी का ? 
धन संपत्ति में होता भरी उछाल क्या मायना है ख़ुशी का ?
ठेरों सोना, चाँदी बैंक बैलेंस है मायना ख़ुशी का ?
हाँ है, यह भी है मायना ख़ुशी का पर है यह किसका 
आन्तरिक आनंद , स्वस्थ काया, मानसिक संतोष ध्येय हो जिसका 
पाया है दुनिया का हर सुख उसने, बाल भी बांका न हो सकता उसका  .......
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  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...