जितनी नफासतऔर मोहब्बत चुनाव के दौरान होती है काश सदेव होती
जितनी खामियां प्रत्याशी कोचुनाव के दौरान हैं दिखती काश सदेव दिखतीं
बस्ती ,गली ,मोहल्ला है बेजार रहता पूरे साल ,सब पर उनकी नज़र है जाती
अव्यवस्था ,तकलीफें आम आदमी की दिमाग में कभी ना प्रत्याशी के आतीं
चुनाव आते ही हर तरफ नज़र जाती है सबकी और करते हैं सुधारने का वादा
हम देख समझ कर चुनते हैं अपना प्रतिनिधि पूरी उम्मीदों ,आशाओं के साथ
गर समझ लें सब अपनी जिम्मेदारी समाज के प्रति तो मिलेगा हमको पूरा इंसाफ
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