मंगलवार, 9 मई 2023

 सूर्य का ताप जला रहा है हर इंसान को

एक तो स्वतः ही विश्व जल रहा है विध्वंस से
युद्ध की विभीषिका कई देशों को जला रही है
उधर आसमां से बरसते आग के शोले तडपा रहे हैं
पडोसी देशों में अराजकता विश्व को दहला रही है
बम,रासायनिक हथियार रही सही कसर पूरी कर रहे हैं
जिन्दगी इतनी तकलीफदेह हो गई है ,हर कोई है लाचार
कोरोना और बीमारियों ने कर दिया है जीवन बेज़ार
क्योँ इतना पारा मौसम ,विश्व के अनेकों देशों का बड़ा हुआ है
खुदा करे रहम आसमां ,दिल ,दिमाग सर्वत्र ताप घटा दे
रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

  हिंदी दिवस के अवसर पर ...हिंदी भाषा की व्यथI ----------------------------------------- सुनिए गौर से सब मेरी कहानी ,मेरी बदकिस्मती खुद मेरी...