कल क्या होगा कुदरत के गर्भ में है सिमटा
बेहतर है भविष्य या होना है कुछ उल्टा पुल्टा
यकायक लेती है जिन्दगी मोड़ ,बदल जाता है सब कुछ
बेशक अच्छा हो या बुरा तजुर्बे सिखा जाता है सब कुछ
हमारे कर्म ,नियति तय करती है शायद हमारा कल
प्रसन्न मन से वर्तमान में जियो ,कल अनिश्चित है उसकी चिंता में मत घुलो
जिन्दगी की जितनी सांसे नवाज़ीं हैं खुदा ने उसकी नेमत का पूरा लुफ्त उठा लो
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