शिकायतें ,रिवायतें ,निभाते चले गए रस्मों ,
रिवाजों के मकड़जाल को सुलझाते चले गए
ना कुछ हासिल कर सके ,
ना ही कुछ बदल सके हम सब ही ढोल चाहे आ...
श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें