शिकायतें ,रिवायतें ,निभाते चले गए रस्मों ,
रिवाजों के मकड़जाल को सुलझाते चले गए
ना कुछ हासिल कर सके ,
ना ही कुछ बदल सके हम सब ही ढोल चाहे आ...
हिंदी दिवस के अवसर पर ...हिंदी भाषा की व्यथI ----------------------------------------- सुनिए गौर से सब मेरी कहानी ,मेरी बदकिस्मती खुद मेरी...
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