शिकायतें ,रिवायतें ,निभाते चले गए रस्मों ,
रिवाजों के मकड़जाल को सुलझाते चले गए
ना कुछ हासिल कर सके ,
ना ही कुछ बदल सके हम सब ही ढोल चाहे आ...
दिनचर्या सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...
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