गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

आशीर्वाद

सखी जो खुद थी कभी नव परणीता ,आज है दुल्हन लाई
खुशियाँ भर निज अंचल में ,उमंग है उसके अंग अंग समाई                                                        
नव उल्लास है चहुँ  ओर, ख़ुशी से वो है न फूली समाई 
बेटे का सेहरा, नव वधु आगमन वर्षो से थी जो आस संजोई 
                                  आ ही गया वो शुभ दिन सखी आज कामना हुई पूरन
                                 जैसा पाया पति संग तुमने लाड -प्यार, इज्जत और सम्मान 
                                 देना सर्वदा बेटे- बहू को वैसा ही दुलार और सम्मान  
                                हँसाना -मुस्कराना, रूठना- मानना , चहकना और खिलखिलाना 
यही है इस पवन रिश्ते की गहराई, इसको यूँ ही निभाना 
हमारी है दुआएं दिलो जान से फूलें- फलें, सपरिवार यह जोड़ी 
'दूधो नहाओ' पूतो फलो' यह आशीर्वाद है बहुत पुराना 
अब तो बस फेसबुक पर मैसेज से है इस जोड़े को समझाना 
मैसेज कब करना है ? बाद में बताएँगे .........................


                                                                         ''शुभ कामनाओ सहित''




























1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...