सोमवार, 22 नवंबर 2010

नन्हे महमान

ओ नन्हे मेहमान, तेरे वास्ते हैं हम सब परेशान
तेरी सलामती और सेहत के लिए मन है बेचैन
हर घडी हर पल है नई आशाएं, नए सपने
नए रिश्ते जुड़ने की, सुगबुगाहट, नई कल्पनाये
हर पल बढती है धड़कन दिल की मन होता है, बेचैन
हरदम सोचती हूँ उस प्रसब पीड़ा की वेदना, पर
तत्काल ही आँखों में आ जाती है सूरत उस छोटी जान की
पागल मन डूबने लगता है उसके प्रेम और नई पहचान में ...

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