सोमवार, 17 जनवरी 2011

''जहाँ चाह है, बहां राह है''

कुछ कर गुजरने की थी मन में चाह
जो जज्बा, हिम्मत था मन में कंही दबा .               
पढती थीं, देखती थी, सोचती थीं तो लगता था नामुमकिन
पर कुछ कर गुजरने की चाह ने बना दिया था इतना मजबूत
की अब हर मुश्किल भी लगती थी आसान 
अब हर सवाल का जबाब और नसीहतों का था उस पर ठेर 
दूसरों को देने की सलाह और पाने को कामयाबी 
अनेको उलाहने, तकलीफें, उठा कर पायी थी मंजिल 
जो जुटा पायी थी वो खो कर बहुत से हसींन लम्हे 
हिल गया था जो सम्पूर्ण वजूद और अस्तित्व 
जुटा पायी थी तभी सारी तकलीफों के हल 
सारा जोश, ताकत समेट कर वह अपने दामन में 
खुद को बना पायी थी इस लायक वो घर आंगन में 
आसां नहीं है जिन्दगी की यह टेड़ी- मेडी डगर 
पहले गिरना फिर उठना और चलना सीख लिया है उसने 
अब कोई भी झंझाबत नहीं दबा सकता उसका जोश
क्यूंकि सीख गयी है वह ''जहाँ चाह है, बहां राह है'' का मतलब
इसी सीख का दामन पकड़कर पा गयी वो जीने का मतलब 
जिन्दगी जो लगती थी बेमतलब उसी जिन्दगी को बना लिया है 
हंसी ख़ुशी जीने का सबब ................................

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अब कोई भी झंझाबत नहीं दबा सकता उसका जोश
क्यूंकि सीख गयी है वह ''जहाँ चाह है, बहां राह है'' का मतलब
इसी सीख का दामन पकड़कर पा गयी वो जीने का मतलब
जिन्दगी जो लगती थी बेमतलब उसी जिन्दगी को बना लिया है
हंसी ख़ुशी जीने का सबब .............................

सुंदर और प्रभावी अभिव्यक्ति...... आशावादी और सकारात्मक सोच लिए.....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कुछ कर गुजरने की चाह हो गर,
काँटे भी फूल लगते हैं।

Sushil Bakliwal ने कहा…

जहाँ चाह, वहाँ राह.
तरक्की का एकमात्र मूलमंत्र.
अच्छी रचना ।

***Punam*** ने कहा…

"अनेको उलाहने, तकलीफें, उठा कर पायी थी मंजिल
जो जुटा पायी थी वो खो कर बहुत से हसींन लम्हे
हिल गया था जो सम्पूर्ण वजूद और अस्तित्व
जुटा पायी थी तभी सारी तकलीफों के हल
सारा जोश, ताकत समेट कर वह अपने दामन में
खुद को बना पायी थी इस लायक वो घर आंगन में
आसां नहीं है जिन्दगी की यह टेड़ी- मेडी डगर
पहले गिरना फिर उठना और चलना सीख लिया है उसने"
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"इसी सीख का दामन पकड़कर पा गयी वो जीने का मतलब
जिन्दगी जो लगती थी बेमतलब उसी जिन्दगी को बना लिया है
हंसी ख़ुशी जीने का सबब ................................"
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मेरी तरफ से यही पंक्तिया एक बार फिर पढ़ लें !!!!!
इतना सही कहा है कि कुछ और कहने को नहीं रह गया.....
आपकी खुद की पहचान..........शायद यही है....मुबारक हों

nilesh mathur ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति!

विशाल ने कहा…

अच्छी कविता है .मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया.यहाँ चाह है वहां राह .बस चाह रखिये ,राह अपने आप बन जायेगी .आपकी कलम को शुभ कामनाएं .

JAGDISH BALI ने कहा…

very right. Beautifully expressed.

amrendra "amar" ने कहा…

Utkrisht abhivyakti
http://amrendra-shukla.blogspot.com

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

सुन्दर रचना | आभार

Atiba Shamsi ने कहा…

Very motivating, Thank you very much mam!

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