रूई के फाए सी नरम ,मासूम और कोमल होती है पैदा
पर ईश्वर भी देता है मजबूत ,बज्र सा दिल उनके अंदर
उम्र के साथ साथ मासूमियत ,नरमाहट ,कोमलता
जाती है सदैव घट और बढ़ उनके भीतर ,
पर सदैव ही बढती जाती है मजबूती उनके दिल की
उनको हैं सहने कई प्राकृतिक ,शारीरिक और मानसिक आघात
झेलती आई है वो बचपन से बुढ़ापे तक वाद प्रतिवाद
हम कितना भी आधुनिकता का दावा कर लें
पर सहती आई हैं सदैव यह कोमल मासूम बेटियां..
चाहें हूई वो सीता या हूई वो द्रोपदी
हुआ है सदैव शोषण इन मासूम बेटियों का ही
समाज का दंश झेला है सदा ही बेटियों ने
कब तक ? या शायद कभी नहीं मुक्ति पाएंगी ये बेटियां
इस दारुन दुःख से -----------
उम्र के साथ साथ मासूमियत ,नरमाहट ,कोमलता
जाती है सदैव घट और बढ़ उनके भीतर ,
पर सदैव ही बढती जाती है मजबूती उनके दिल की
उनको हैं सहने कई प्राकृतिक ,शारीरिक और मानसिक आघात
झेलती आई है वो बचपन से बुढ़ापे तक वाद प्रतिवाद
हम कितना भी आधुनिकता का दावा कर लें
पर सहती आई हैं सदैव यह कोमल मासूम बेटियां..
चाहें हूई वो सीता या हूई वो द्रोपदी
हुआ है सदैव शोषण इन मासूम बेटियों का ही
समाज का दंश झेला है सदा ही बेटियों ने
कब तक ? या शायद कभी नहीं मुक्ति पाएंगी ये बेटियां
इस दारुन दुःख से -----------
14 टिप्पणियां:
दुख होता है कि समाज बेटियों के प्यार को अभी तक नहीं समझ पाया. लेकिन समय बदल रहा है और आशा है कि उन्हें समाज और परिवार में उनका उचित स्थान मिलेगा. सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
हम कितना भी आधुनिकता का दावा कर लें
पर सहती आई हैं सदैव यह कोमल मासूम बेटियां..
सच लिखा है आपने. परन्तु इतना निराश होने की जरूरत नहीं.वक्त बदल रहा . और आगे भी बदलेगा.
त्रासदी है....पर सच है.....
मार्मिक पोस्ट.
आख़िर कब होगा होगा इसका निदान , हे भगवान!
आपकी रचना बता देती है कि आप कितनी संवेदनशील हैं ! वाकई यह नाज़ुक लड़कियां ही सबसे अधिक तकलीफ सहती हैं और अपना दर्द अक्सर बिना कहे पी जाती हैं ! समाज माने या न माने बहुत निष्ठुर हैं इन बच्चियों के लिए !
शुभकामनायें !
अपनी हर बढत के साथ नये लोगों से नये रिश्ते जोडते हुए उनसे वैसा ही लाड-दुलार, प्रेम-प्यार और फिर आदर-सम्मान भी पाती हैं यही बेटियां.
mom u r too good.. i m glad n lucky to have u as my mom...u loved us more than ur son.. v r nothing without u ...love u
mom u r too goodd...keep it up...lovce u ..u loved us more than ur son...mmmuuaaahhh...
या शायद कभी नहीं मुक्ति पाएंगी ये बेटियां
इस दारुन दुःख से -----------
होगी, अवश्य मुक्त होंगी... वह दिन भी आएगा यदि बेटियां अपना संघर्ष इसी तरह ज़ारी रखें।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....तस्वीर भी बढ़िया है|
roshi;u r to good to write such a nice poem.keep it up.
nice wordings.
well done.....
रोशी जी नारी विषय और विषय पर माँ के ऊपर बहुत सुन्दर रचनाएँ माँ सरस्वती की कृपा बहुत है आप पर -शुभ कामनाएं
काश सब आप सा ही सोचें
शुक्ल भ्रमर ५
मजबूती उनके दिल की
उनको हैं सहने कई प्राकृतिक ,शारीरिक और मानसिक आघात
झेलती आई है वो बचपन से बुढ़ापे तक वाद प्रतिवाद
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