गुरुवार, 27 जनवरी 2011
Roshi: माँ
Roshi: माँ: "माँ के आने का कर रही थी मैं इंतजार मन में था आनंद और उनके लिए प्यार अभी सुबह माँ से हुई थी फ़ोन पर बात जल्दी आओ , मन नहीं लग रहा ..."
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...
-
रात का सन्नाटा था पसरा हुआ चाँद भी था अपने पुरे शबाब पर समुद्र की लहरें करती थी अठखेलियाँ पर मन पर न था उसका कुछ बस यादें अच्छी बुरी न ल...
-
हम स्वतंत्रता दिवस पूरे जोशो खरोश से मना रहे हैं बेशक हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गए हैं धर्म ,जाति की जंजीरों में हम बुरी तरह जक...
-
आज हुई मुलाकात एक नवयुवती से जिसकी हुई थी अभी-अभी सगाई मुलाकात हुई उसकी काली-घनेरी फैली जुल्फों से ...
1 टिप्पणी:
माँ का इन्तेज़ार भी कितना मुश्किल होता है..
http://bachhonkakona.blogspot.com/
एक टिप्पणी भेजें