बुधवार, 25 मई 2011

जिन्दगी

जिन्दगी ने दी ठेरों खुशियों और नवाजा अनेको सुखो से 
पर थोड़े से दुखो में ही रही उलझी और ना सामना हुआ उनसे 
हम क्यूँ ना देख पाते हैं वो खुशियाँ, सपने और उल्लास 
रह जाते हैं यूँ ही मसरूफ अपने दुखो, तकलीफों में ही हर साँस 
विधाता ने तो दिया ऐसा सुन्दर मानव रूप हमको 
दिए हमको गम तो बक्श दिन ठेरों इनायतें हम पर 
कभी स्याह कभी सफ़ेद दिखा दिए सब सपने हमको 
अगर रहता स्याह रंग से सरोवर जीवन हमारा 
तो सफ़ेद रंग का ना देख पते हम अदभुत नज़ारा 
जो भी ख़ुशी मिले जियो सदैव हंस के मेरे दोस्तों 
और मिले जो कभी गम तो उसे भी लगा तो गले दोस्तों ......

2 टिप्‍पणियां:

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

हम क्यूँ ना देख पाते हैं वो खुशियाँ,
सपने और उल्लास
रह जाते हैं यूँ ही मसरूफ अपने दुखो,
तकलीफों में ही हर साँस


जीवन दर्शन से परिपूर्ण बहुत सुन्दर रचना...

Lata agrwal ने कहा…

very touching

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...