विधाता ने तो दिया ऐसा सुंदर मानव रूप हमको
दिए हमको गम तो बक्श दी ठेरों इनायतें हम पर
कभी स्याह , कभी सफ़ेद दिखा दिए सब सपने हमको
अगर रहता स्याह रंग से सरोबर जीवन हमारा
तो सफ़ेद रंग का ना देख पते हम अदभुत नज़ारा
जो भी ख़ुशी मिले जियो सदैव हंस के मेरे दोस्तों
और मिले जो कभी गम तो उसे भी लगा लो गले दोस्तों
2 टिप्पणियां:
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
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