बुधवार, 28 मार्च 2012

गम


ऐसा क्यूं होता है की किसी के हिस्से ढेरों गम ?
ज़माने  के ढेरो जुल्म और अनगिनत सितम
क्यों वो दे देता है सारी काएनात की रुसवाई किसी एक को
जरा भी ना सोचता है अपने नेक बन्दे का दर्देगम  

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

न जाने क्या सिखाने की योजना हो।

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

रोशी जी सुन्दर ..परीक्षा लेने का मन होगा उसका ..
जय श्री राधे
भ्रमर 5

  कुम्भ है देश विदेश सम्पूर्ण दुनिया में छाया असंख्य विदेशियों ने भी आकार अपना सिर है नवाया सनातन में अपना रुझान दिखाया ,श्रधा में अपना सिर ...