आजकल जिन्दगी में कुछ अनचाहे मेहमान आ बैठे हैं
ना कोई न्यौता ,ना कोई सन्देश बस आ बैठे हैं
क्रोध ,जलन ,ईर्ष्या ,जैसे यह अनचाहे हैं मेहमान
रोज इनको चाहते हैं जिन्दगी से अपनी भगाना
पर यह पाहून हैं ऐसे ढीठ कि जिन्दगी में गए हैं रच -बस
ना होती है इनकी कोई पूछ फिर भी ना जाना चाहते हैं
रोज अपने अस्तित्व का एहसास भी हरदम कराते हैं
कैसे इन मेहमानों को करू में विदा बताएं आप सब मुझको ?????????
11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर ...आभार
बिन बुलाये मेहमान बोझ लगते है,
प्रभावित करती सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
डालो बोरा फर्श पर, रखो क्रोध को *तोप |
डीप-फ्रिजर में जलन को, शीतलता से लोप |
*ढककर
शीतलता से लोप, कलेजा बिलकुल ठंडा |
पर ईर्ष्या बदनाम, खाय ले मुर्गा-अंडा |
दो जुलाब का घोल, ठीक से इसे संभालो |
पाहून ये बेइमान, विदा जल्दी कर डालो ||
अनचाहे मेहमान सच ही बहुत कष्ट देते हैं .... सटीक अभिव्यक्ति
मेहमान तो अतिथि होते हैं!
ऐसे अनचाहे मेहमानों को शीघ्रातिशीघ्र विदा करना होगा।
इन अनचाहे मेहमानों से निजात पानी ही होगी ...
इससे पहले की ये जिंदगी को चाटने लगें इनको भगाना ही ठीक है बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ईर्ष्या जलन और क्रोध जिस दिलो दिमाग में खपत मचातें हैं उसी का नुकसान करते हैं जिसके प्रति उमगते उम्ड़तें हैं भले उसका कोई नुकसान हो न हो उस दिल को तहस नहस कर डालते हैं जिसमे पलते बढतें हैं चुग्गा प्राप्त करते हैं .इन्हीं बेसिक अवगुणों में इन्स्तिन्क्ट्स में फंसा रहेगा आदमी तो कुछ कर न सकेगा दिल की बीमारी सौगात में पाएगा . कृपया यहाँ भी पधारें -
शुक्रवार, 29 जून 2012
ज्यादा देर आन लाइन रहना माने टेक्नो ब्रेन बर्न आउट
http://veerubhai1947.blogspot.com/
वीरुभाई ४३.३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८,१८८ ,यू एस ए .
प्यार से ! ढेरो बधाई
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
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