रविवार, 5 जनवरी 2014

माँ की तेहरवीं पुण्य तिथि पर



आप चली गयीं उस जहाँ में जहाँ ना कोई आपसे मिल सकता
लगता है हर पल आप यहीं हैं ,हर पल यहीं हैं ........
घर ,आँगन में है हर पल आपका प्यार -दुलार है बरसता
देहरी जोहती है बाट आपकी ,करके गयीं थीं उससे वापिस आने का वायदा
हर पल मन दूंद्ता है आपको ,पर है ना कोई फायदा .......
पता नहीं कि हमारी तकलीफ  का अंदाज़ हो रहा होगा आपको कितना
बस दिल से सभी करतें है यह ही दूया आप जहाँ हो खुश रहो
क्योंकि अब धीरे -धीरे डाल ली है आदत जीने कि आपके बिना ...........

2 टिप्‍पणियां:

Misra Raahul ने कहा…

काफी दर्द भरी अभिव्यक्ति ....
नयी रचना
"एक नज़रिया"
आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!
आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मेरी ओर से माता जी को श्रद्धांजलि.!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (06-01-2014) को "बच्चों के खातिर" (चर्चा मंच:अंक-1484) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...