शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

आधुनिकता का कहर

इस ज़माने में कई चीज़े हैं जो मिलनी नामुमकिन सी हो गयी हैं .......
पार्टीस में हाय- हेल्लो करने वालों की दुनिया में भरमार मिलेगी
पर आपके दुःख को समझने वाली दोस्तों की कमी मिलेगी
माता -पिता तो आपको समाज में ढेरों मिलेंगे
पर बच्चों के साथ वक्त गुजारनेवाले शायद दो चार मिलेंगे
हर इंसा की जिंदगी में मसरूफियत इतनी बड गयी है
कि सच्चे रिश्तेदार भी दो चार मिलेंगे
घर -व्यापार के लिए कर्मचारी तो सैंकडो मिलेंगे
पर काम को अपना समझने वाल्व ना मिलेंगे
दुःख -दर्द बांटने को सारा समाज इकठा होगा
पर दर्द समजने वाले एक दो भी ना होंगे
अस्पताल में फोन तो मिजाजपुर्सी वास्ते ढेरों आएंगे
पर वहां रहने वाले हरगिज़ ना मिलेंगे
दुःख तकलीफ में राय देने वाले ढेरों हमदर्द मिलेंगे
पर सही मशवरा देने वाले दूंदे ना मिलेंगे
सच कहूँ तो आस -पास बच्चे तो ढेरों मिलेंगे
पर माँ -बाप के लिए फ़र्ज़ पूरा करने वाले दो चार ही मिलेंगे ...........

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

सच कहूँ तो आस -पास बच्चे तो ढेरों मिलेंगे
पर माँ -बाप के लिए फ़र्ज़ पूरा करने वाले दो चार ही मिलेंगे ....1 ये कमी तो मुझे भी बहुत खलती है1 सुन्दर पोस्ट्1

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