गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

   नव शिशु आगमन 
मन बेचैन है ,परेशान है ,आकुल है ,हैरान है 
नवागत के आगमन पर उमंगें है,उल्लास है
साथ ही मन में है भय सोचकर  उस पीड़ा का 
नवजीवन के आगमन पर होने वाली असहनीय पीड़ा
कैसे सह पाएगी लाड़ली बिटिया ,उस ममतिंक पीड़ा को 
मन काँप उठता है ,ह्रदय घबरा उठता है ,नींद जाती है उड़ ........
रूह कांप जाती है मेरी सोच कर वोह पल जब जन्मी थी यह लाड़ली 
गुजरे थे हम भी इस दौर से और जन्मी थी यही लाड़ली इसी शरीर से
प्रक्रति का यह नियम चलता रहेगा ..............इसी तरह से 

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