राम सीता
संसारिक
मर्यादा का तो बखूबी पालन किया मर्यादा पुरषोत्तम ने
पित्रधर्म
,माँ का सम्मान बखूबी निभाया था, हर आज्ञा को राम ने
सौतेली
माँ की आज्ञा को कर शिरोधार्य वन गमन का निर्ड्य लिया था राम ने
पिता का
मान रखना तो पुत्र धर्म है ,पर  पत्नी  का ना  धरा ध्यान राम ने 
रावण से
युद्ध तो नियत विदित था पर उसमें था क्या सीता का दोष ?
बलशाली
रावण के द्वारा छल से ले जायी गयी  श्रीलंका वो  निर्दोष 
एक -एक
पल कैसे काटा है वो पीड़ा भी है करती मन में असंतोष
गयी वो
पुनः त्याग ,पाया संवासित जीवन  अबला ने दो पल में 
सुना दिया
था निर्ड्य वन गमन का  उस  मर्यादा पुरषोतम ने 
गर्भावस्था
में ही गयी वो त्यागी आसन्नप्रसवा
पतिधर्म की मर्यादा का पालन क्यौ ना कर सके तुम राम ?
हर युग
में अनुत्तरित रह जाएंगे कुछ प्रश्न तुमसे राम 
कभी भी
न दे सकोगे उन प्रश्नों का जवाब समुचित तुम मर्यादा पुरषोत्तम राम